नागपूर :- शहर में 6 जुलाई से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है I जिसमे मधुमेह नियंत्रित रखने के कई तरीके बताये जायेंगे I डायबिटीज के कई पीड़ितों को इंसुलिन लेना पता होता है, लेकिन उसका उचित तरीका उन्हें मालूम नहीं होता है। सुबह से शाम तक भागदौड़ भरी जिंदगी में डायबिटीज, बीपी जैसी आदि बीमारियां इंसान को कब घेर लेती है पता ही नहीं चलता। वैसे तो यही वजह है कि टाइप-1 मधुमेही 70 और टाइप-2 मधुमेही 40 फीसदी गलत तरीके से इंसुलीन लेते हैं, जिसे लाइपोहाईपर ट्राफी कहते हैं। 6 जुलाई से आरंभ होने वाली तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज कांफ्रेंस की जानकारी देते हुए रामदासपेठ स्थित सुनील्स डायबिटीज केयर एडं रिसर्च सेंटर में मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता बोल रहे थे।
उन्होंने बताया कि मधुमेह पीड़तों को इंसुलिन पेट, जांघ और बाजू के पीछे की ओर लेना चाहिए, जिससे उसका प्रभाव सही रहता है, लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि एक जगह बार-बार इंसुलिन नहीं लेनी चाहिए। इससे वह जगह सख्त या कड़क हो जाती है और वहां इंसुलिन प्रभावी रूप से काम नहीं करती है। इस वजह से शुगर अचानक कम-ज्यादा होने लगती है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से हेलो डायबिटीज एकेडमी की सचिव कविता गुप्ता, डॉ. अजय अंबाडे, डॉ. सरिता उगेमुगे, डॉ. सचिन गाथे आदि उपस्थित थे।
आगे डॉ. गुप्ता ने कहा कि 6 जुलाई को कार्यशाला का आयोजन रामदासपेठ स्थित होटल सेंटर प्वाइंट में किया जाएगा। इसमें गर्भावस्था एज्युकेटर साइंटिफिक सेशन का उद्घाटन समाज सेविका कांचन गडकरी, डॉ. रानी बंग के हाथों किया जाएगा। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वक्ता यूएसए से डॉ. लॉरेंस हिर्श, पुर्तगाल से डॉ. लुदस गार्डेट, डॉ. सुंदर मुदलियार प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगे। शनिवार 7 जुलाई को मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजन वेलुकार, डायबिटीज इंडिया के अध्यक्ष डॉ. शौकत सादीकोट, डॉ. शशांक जाेशी व आईएमए महाराष्ट्र के अध्यक्ष डॉ. वाई. एस. देशपांडे प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगे।
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