नागपुर : झिंगाबाई टाकली के जयंत तांदुलकर ने अपने घर में पक्षियों का बसेरा बना दिया है। वहां 40 प्रजाति के पक्षियों का बसेरा रहता है। तांदुलकर महालेखाकार कार्यालय में अकांउटेंट हैं। उनका एक ही उद्देश्य है- पक्षियों की सेवा के साथ ही विलुप्त हो रही उनकी प्रजातियों को बचाने का संकल्प। पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य इसके साथ और सहज हो जाता है।
पक्षियों के लिए प्रतिदिन 2 से 3 किलो का बाजरी, कनकी और राला देते हैं। महीने का खर्च इस पर करीब 2 हजार रुपए आता है। उनका कहना है -गर्मी में प्यास से कई पक्षियों की मृत्यु हो जाती है। बेजुबान कुछ बोल नहीं पाते हैं, इसलिए हमें ही उनका ध्यान रखना होगा। जब भी पक्षियों को पानी पीते देखता हूं तो बहुत खुशी होती है। इसके साथ ही कहते हैं हर किसी को अपने घर की छत,आंगन में पक्षियों के जलपात्र रखना चाहिए। अगर शहर का हर नागरिक पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखेगा तो हर कोई पक्षियों की चहचहाहट सुन सकेगा।
इस मुहिम की शुरुआत घर के पीछे चाचा के खाली प्लॉट से हुआ। उस प्लॉट बिक जाने के बाद जगह की समस्या हो गई, तो अपने घर की छत पर ही बसेरा बना दिया। नौकरी में होने के कारण अवकाश के दिन पक्षियों के इस बसेरे की सफाई करते हैं। बसेरे में प्रवासी पक्षी सहित गौरेया, मुनिया, रेड मुनिया, सिल्वर बिल, ग्रीन बी ईटर, मैग पी, रॉबिन, कॉपर स्मिथ बार्बेट, बुलबुल, शीकरा, जंगल बेबलर आदि पक्षी यहां बसेरे में रहते हैं।
इसके साथ ही लगभग 15 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण का काम कर रहे हैं। न सिर्फ हजारों पौधे लगा चुके हैं, बल्कि उनकी देखभाल भी खुद करते हैं। मीठा नीम, पीपल, आम, अमरूद, जामुन, चीकू, करंज, बकुल, बेहड़ा, कदम आदि प्रजातियां उसमें शामिल हैं।
और पढिये : शहर में शाम को हुई बूंदाबादी, हीट वेब के साथ मानसून पूर्व की हलचलें रहेंगी जारी