नागपुर : राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2019-20 में 93 कॉलेजों के विविध पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रतिबंधित करने के फैसले पर घमासान जारी है। इस मुद्दे पर विवि अधिकारी और कॉलेज प्राचार्य आमने सामने है। बीते एक पांच दिनों से यह मुद्दा विवि में चर्चा में बना हुआ है। शुक्रवार को एक बार कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे से इस विषय पर मुलाकात के बाद बुधवार को एक बार फिर फोरम ने कुलगुरु से मुलाकात करके निर्णय रद्द करने की मांग की । कहा कि कॉलेजों में शिक्षक नियुक्तियों पर कई वर्षों से प्रतिबंध है। इस वजह से उनके यहां नियमित शिक्षकों की कमी है। उनके बदले में विवि ने कई शिक्षकों को वन-टाइम अप्रूवल दिया है। इन्हीं शिक्षकों के सहारे उन्हें पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति दी जाए। लेकिन कुलगुरु ने प्राचार्यों की इस मांग पर असहमति जताते हुए बैन हटाने से साफ इंकार कर दिया।
फोरम के डॉ. बबनराव तायवाडे ने बताया कि अब इसके आगे फोरम की क्या भूमिका होगी, इस पर प्राचार्यों से चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा। दरअसल विवि बीते दिनों कॉलेजों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों काे संलग्नता देने 300 से अधिक कॉलेजों में लोकल इंक्वायरी कमेटी (एलईसी) भेज कर निरीक्षण कराया था। समिति के निरीक्षण में 148 कॉलेजों में सभी जरूरी सुविधाएं पाई गई थीं, जिससे विवि ने उन्हें आगामी शैक्षणिक सत्र में एडमिशन लेने के लिए संलग्नता प्रदान करने का निर्णय लिया था। इसी निरीक्षण में 150 कॉलेजों में विविध त्रुटियां पाई गई थीं, जिन्हें दूर करने के लिए विवि ने उन्हें कुछ दिनों का समय दिया था। अंतत: 93 पाठ्यक्रमों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने से विवि ने यहां प्रवेश प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है।
फीस भरने आरटीजीएस की सुविधा फोरम ने विवि द्वारा शुरु किए गए ऑनलाइन फीस पेमेंट सिस्टम पर सवाल उठाए थे। दलील दी थी कि विद्यार्थियों की परीक्षा फीस ऑनलाइन मोड में विवि को नहीं भेज सकते क्योंकि कई कॉलेजों के पास सेविंग्स अकाउंट नहीं है। जबकि कॉलेजों के पास करंट अकाउंट है। इसके लिए कोई भी क्रेडिट या डेबिट कार्ड नहीं मिलता। ऐसे में विवि ने उन्हें आरटीजीएस एनईएफटी से फीस जमा कराने की छूट दी है।
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