नागपुर : बढ़ती जनसंख्या और आरामदायक जीवन शैली के कारण नसों में खून का प्रवाह रूकने से कई बीमारियां जन्म लेती है जो कि सेहत के लिए सही नहीं है इस कारण नसों में व्याधियाँ (क्लॉटिंग्स) पाई जाने लगती है ।जिससे मरीज की हालत बिगड़ सकती है । कई बीमारियों का इलाज असंभव था लेकिन मॉडर्न टेक्निक्स के कारण इन बीमारियों को जानना आसान हो गया है इसका सही तरीके से उपचार किया जाता है । इस बीमारी को ‘रेडियोलॉजी’ तकनीक द्वारा पहचाना जाता है । पश्चिमी देशों में शरीर में अशुद्ध खून वाहक नालिकाओं के इलाज के लिए फ्लेबॉलॉजीस्टस् टेक्निक उपलब्ध है। केवल भारत में यह जिम्मा ‘इंटरनेशनल रेडियोलॉजीस्ट’ संभाल रहे हैं ।
‘अकैडमी ऑफ मेडिकल साइंस’ ने हमेशा बीमारियों के उपचार का समर्थन किया है इसी बात को ध्यान में रखते हुए रविवार 18 नवंबर 2018 को सुबह 9:00 बजे रामदासपेठ होटल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस द्वारा ‘नीला रक्त वाहिनी’ जैसी बीमारी पर विशेष सत्र का आयोजन किया जा रहा है ।
असोसिएशन ऑफ सर्जन्स नागपुर, नेफ्रोलॉजी सोसायटी ऑफ नागपुर व इंडियन सोसायटी ऑफ व्हास्कुलर एन्ड इंटरनेशनल रेडियोलॉजी महाराष्ट्र राज्य शाखा इस सत्र के सह संयोजक है ।
बताया जा रहा है कि इस चर्चा में ‘नीला रक्त वाहिनी’ के विविध प्रकार व असंतुलित रक्त प्रवाह को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जा रहा है । इस सत्र में ‘डीप व्हेन्स थ्राम्बोसिस’ , फेफडो़ में खून का थक्का जमना , पैरों की नसों का फूलना (व्हेरिकोज व्हेन्स), मूलव्याध , सदोश रक्तवाहिका जाल जैसी बीमारियों पर चर्चा की जाएगी और इन विषयों पर वाद विवाद का भी आयोजन इस सत्र में किया गया है ।
-By Apurva Nayak
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