नागपुर : बाघिन अवनि की हत्या की जांच कर रही दो सदस्यीय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) समिति की अंतिम रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
यह हैदराबाद के रहने वाले शार्पशूटर और अवनि की हत्या के आरोपी असगर अली खान के उस दावे को खारिज करती है, जिसमें उसने कहा था कि उसने सेल्फ डिफेंस में गोली चलाई थी। 2 नवंबर को बोराती में अवनि को गोली मार दी गई थी।
अवनि के शिकार की जांच के लिए दो सदस्यीय इस कमिटी का गठन 8 नवंबर को किया गया था। कमिटी में रिटायर्ड मुख्य वन संरक्षक ओपी कालेर और एनजीओ वाइल्डलाइफ ट्रस्ट इंडिया के सदस्य जोस लूइस भी शामिल थे। कमिटी को उन परिस्थितियों का पता लगाने का काम सौंपा गया था, जिन परिस्थितियों में अवनि को मारा गया था। कमिटी ने बीते 27 नवंबर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
किया इन तीन कानूनों का उल्लंघन
रिपोर्ट में सामने आया है कि किस तरह आरोपी असगर ने एक साथ तीन-तीन कानूनों का उल्लंघन किया था। असगर ने अवनि के शिकार में आर्म्स ऐक्ट 1958 की धारा 3 (1), इंडियन वेटेरिनरी काउंसिल ऐक्ट 1984, द वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन ऐक्ट 1972 के साथ एनटीसीए के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स का भी उल्लंघन किया गया था।
‘दोषियों के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर’
एनटीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक, फॉरेस्टर मुखबिर शेख को सिर्फ अवनि की पहचान करने का काम दिया गया था, ना कि उस पर डार्ट चलाने का। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हैरानी की बात है कि मुखबिर ने डार्ट में रखी 56 घंटे पुरानी दवा को अवनि पर इस्तेमाल किया, जबकि डार्ट में दवा को 24 घंटे से ज्यादा नहीं रखा जा सकता था।’ महाराष्ट्र स्टेट वेटेरिनरी काउंसिल के सदस्य डॉ. अजय पोहरकर ने कहा, ‘हम इन सभी नियमों के उल्लंघन को लेकर एक एफआईआर दर्ज कराएंगे। हम रिपोर्ट की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं।
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