नागपूर : महाराष्ट्र की नागपुर लोकसभा सीट पर पहले चरण के तहत आज यानी गुरुवार को मतदान जारी है. नागपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं कांग्रेस की ओर से नाना पटोले मैदान में हैं.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की ओर से अब्दुल करीम मैदान में हैं तो वहीं बहुजन समाज पार्टी ने यहां से मोहम्मद जमाल को टिकट दिया है.
2014 के लोकसभा चुनाव में नितिन गडकरी ने चार बार के सांसद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार को चुनाव हराया था.
UPDATES…
– नागपुर में 1 बजे तक 30.50 फीसदी मतदान
– महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में वोट डाला है. वोट डालने के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं महाराष्ट्र और देश के लोगों से अपील करूंगा कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अगर लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोट डालेंगे तो ये और मजूबत होगा.’
– महाराष्ट्र में 11 बजे तक 13.7 फीसदी मतदान.
– सुबह 9 बजे तक 9.33% मतदान
– केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने डाला वोट.
– नितिन गडकरी वोट डालने के लिए घर से निकले.
– उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकतंत्र के ‘महाकुंभ’ का आज शुभारंभ है. जैसे आपने सांस्कृतिक महाकुंभ में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया वैसे ही इस महाकुंभ में भी जरूर डुबकी लगाएं और सुनिश्चित करें एक नए भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी. मेरी अपील है अधिक से अधिक संख्या में मतदान करें. पहले मतदान, फिर जलपान.
– आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि स्थिरता के लिए वोट दें, विकास के नाम पर वोट दें, नोटा की बजाए लोगों को अपना मत देना चाहिए.
– पीएम मोदी ने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि सभी मतदाताओं से मेरी विनती है कि लोकतंत्र के इस महोत्सव में जरूर हिस्सा लें. अधिक-से-अधिक संख्या में मतदान करें. पहले मतदान, फिर जलपान.
सीट का इतिहास
नागपुर लोकसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई थी. यहां अनुसूया बाई सबसे पहले 1952 में सांसद बनी. वो 1956 में चुनकर आई थी. इसके बाद 1962 में माधव श्रीहरि अणे यहां से निर्दलीय चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. इसके बाद 1967 में नरेंद्र देवघरे कांग्रेस को वापस सीट दिलाने में सफल रहे.
लेकिन नागपुर में विदर्भ को महाराष्ट्र से अलग करने को लेकर उठी आवाज ने कांग्रेस को यहां सत्ता से बाहर कर दिया. 1971 में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी के जामबुवंत धोटे चुनाव जीते. मालूम हो कि जामबुवंत धोटे अपने समर्थकों के बीच विदर्भ के शेर कहलाते थे. लेकिन 1977 के लोकसभा में उनकी हार हो गई. उन्हें कांग्रेस के गेव मनचरसा अवरी ने चुनाव हराया.
इसके बाद जामबुवंत धोटे कांग्रेस (I) से जुड़ गए. इसका फायदा उन्हें 1980 के चुनाव में भी मिला. वो जीते और लोकसभा पहुंचे. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ दिया और विदर्भ जनता कांग्रेस पार्टी की स्थापना की. हालांकि, वो दोबारा लोकसभा में नहीं आए.
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