‘प्लास्टिक कडवुल’ में पेश की क्रेडिट कार्ड से बर्बाद होने की कहानी

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नागपुर : क्रेडिट कार्ड के चक्कर में पड़ने से मध्यम वर्गीय परिवार के युवा राजारमण पर आत्महत्या करने की नौबत आ जाती है, जिसे उसका दोस्त के कंदस्वामी बचाता है। आज का मध्यम वर्गीय परिवार आधुनिक लाइफ स्टाइल के भंवरजाल में फंस कर कभी-कभी ऐसे ही मोड़ पर आ कर खड़ा हो जाता है। कुछ इन्हीं बातों को कॉमेडी ड्रामा के जरिए नाटक का मंचन कर लोगों को सीख दी गई।

दक्षिण भारतीय शिक्षण संस्था की 125वीं वर्षगांठ के आयोजन पर दिल्ली से आए कलाकार टीवी वर्धरंजन ने ‘प्लास्टिक कडवुल’ नाटक की प्रस्तुति सरस्वती विद्यालय परिसर में दी। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष के. टी. के. व्यंकटेश, वाइस प्रेसिडेंट टी. जी. जानकीरमण, सचिव वी. दुरईराजन, चेयरमैन नटराजन अय्यर आदि उपस्थित थे। नाटक में कॉमेडी के साथ ट्रेजडी भी है। नाटक का नाम ‘प्लास्टिक कडवुल’ है। जिसमें क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने से व्यक्ति किस हद तक पहूंच जाता है यह बताया गया है। नाटक में राजारमण मध्यमवर्गीय परिवार से है, जो कभी क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं करता है, लेकिन उसका भाई शेखर उसे क्रेडिट कार्ड यूज करने की सलाह देता है, जिसके चलते उसे कार्ड यूज करने की आदत हो जाती है।

राजारमण पर करोड़ो का लोन हो जाता है, जिससे उसे आत्महत्या करने की नौबत आ जाती है। फिर उसे उसका दोस्त के कंदस्वामी समझाता है और आत्महत्या करने से रोकता है। साथ ही इस समस्या से निकलने का रास्ता भी बताता है। इस तरह नाटक की कहानी ने दर्शकों बांधे रखा। नाटक यूनाइटेड विजुअल टैलेंटेड तमिल थियेटर टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया।

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