नागपुर :- नक्सल समर्थन के आरोप में नागपुर मध्यवर्ती कारागृह के भीतर उम्रकैद की सजा काट रहे विकलांग प्रोफेसर जीएन साईबाबा को समय समय पर इलाज की जरूरत पड़ रही है। जिसके लिए साईबाबा की पत्नी वसंता साईबाबा ने आरोप लगाया है की सरकार द्वारा उसके इलाज में लापरवाही बरती जा रही है, वसंता ने यह आरोप कुछ दिन पहले हाइकोर्ट में दायर अपनी अर्जी में लगाया था, जिसके लिए उसने पति के इलाज के दौरान अस्पताल में उसके साथ रहने की अनुमति मांगी थी। गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उसे साथ रहने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। उसे सिर्फ अस्पताल में साईबाबा को मिलने की अनुमति दी जा सकेगी।
वहीं जेल नियमों का पालन करते हुए उसे जेल में भी साईबाबा से मिलने की अनुमति दी जा सकती है। साईबाबा ने हाइकोर्ट में गडचिरोली सत्र न्यायालय के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दे रखी है। इसी याचिका के साथ उसकी पत्नी की अर्जी भी जोड़ी गई थी। इस पर कोर्ट ने 14 सितंबर को सुनवाई रखी है। बता दें गड़चिरोली जिला व सत्र न्यायालय ने प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्य पांच को नक्सलियों की मदद करने का दोषी पाया है।
न्यायालय ने प्रोफेसर साईबाबा, हेम मिश्रा, प्रशांत राही, महेश तिरकी, पांडू नरोटे को उम्रकैद और विजय तिरकी को 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। निचली अदालत ने देश विरोधी गतिविधियों और प्रतिबंधित संगठन के सदस्य होने का दोषी पाया था। गड़चिरोली पुलिस ने दिल्ली के जेएनयू विश्वविद्यालय के विद्यार्थी हेम मिश्रा को अगस्त 2013 में महेश तिरकी और पांडू नरोटे के साथ अहेरी से गिरफ्तार किया था। हेम मिश्रा से पूछताछ के बाद पुलिस ने सितंबर 2013 में प्रशांत राही काे भी गिरफ्तार किया। नक्सली नेता गणपति व नर्माद अक्का और प्रोफेसर साईबाबा के बीच मध्यस्थता करने का दावा पुलिस की ओर से किया गया। 23 दिसंबर 2015 साईबाबा ने भी आत्मसमर्पण कर दिया था।
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