अब कोचिंग क्लासेज पर राज्य सरकार कसेगी शिकंजा

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नागपूर : शिक्षा का बाजारीकरण, लूट व छात्रों से हजारों रुपए लेकर टेस्ट परीक्षाओं की तैयारी के साथ ही 11वीं 12वीं की पढ़ाई कराने का दावा कर रहे ट्यूशन क्लासेज पर अब राज्य सरकार शिकंजा कसेगी। बता दे की इस तरह की क्लासेज को रोकने के लिए बकायदा कानूनी नियम बनाए जा रहे हैं। क्लासेज पर शिकंजा कसने की कड़ी में 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों के लिए संबंधित कालेजों में उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया गया है। बायोमेट्रिक प्रणाली से विद्यार्थियों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी। अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। साथ ही जिन कालेजों ने पैकेज वाले ट्यूशन अर्थात इंटीग्रेटेड क्लासेज को मान्यता दे रखी हैं, उन कॉलेजों की मान्यता भी रद्द कर दी जाएगी। यह जानकारी विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के तहत उठाए गए प्रश्नों के उत्तर में शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने दी।

तावड़े ने कहा कि निजी कोचिंग क्लासेज के नाम पर शिक्षा क्षेत्र में शुरु इंटीग्रेटेड क्लासेज की व्यवस्था शिक्षा क्षेत्र को लगा कीड़ा है। इस कीड़े को रोकने के लिए राज्य सरकार पूरा प्रयास कर रही है। पराग अलवणी, नरेंद्र पवार व अन्य सदस्यों ने शिक्षा के बाजारीकरण का मामला उठाया था। सदस्यों ने कहा कि राज्य में 50 से अधिक निजी शिक्षा क्लासेज चल रहे हैं। अधिकाधिक अंक दिलाने का प्रलोभन देकर विद्यार्थियों व पालकों से लाखों रुपए की लूट की जा रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा के बाजारीकरण को रोकना ही होगा। इंटीग्रेटेड क्लास में प्रवेश के बाद विद्यार्थियों के पालकों की भावनात्मक लूट व ब्लैकमेलिंग होती है। इंटीग्रेटेड के बाजारीकरण को रोकने के लिए 11 वीं व 12 वीं के विद्यार्थियों की हाजिरी बायोमेट्रिक प्रणाली से चल रही है। इस संबंध में पालकों को भी जागरुक किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में जिन कालेज ने इंटीग्रेटेड को मान्यता दी है, उन कालेज की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

राज्य में निजी ट्यूशन क्लासेज पर नियंत्रण के लिए अधिनियम तैयार किया जाएगा। इसके लिए शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। समिति ने सरकार को रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के अनुसार कार्यवाही की जा रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि घरेलू क्लासेज पर यह कानून लागू नहीं रहेगा। क्लासेज पर रोक लगाने के लिए बांबे उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। न्यायालय के निर्देश पर पूर्व कुलगुरु प्रा.अशोक प्रधान की अध्यक्षता में समिति नियुक्त की गई थी। पढ़ाई खर्च पूरा करने के लिए अन्य विद्यर्थियों को घर पर पढ़ा रहे विद्यार्थी पर कार्रवाई नहीं होगी। घर खर्च चलाने के लिए कई महिलाएं भी ट्यूशन पढ़ाती है, उन्हें जांच के दायरे में शामिल नहीं किया जाएगा।

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