नागपुर :- ‘नवरोज’ यानी पारसी समाज का नया साल (नववर्ष) के स्वागत के लिए शुक्रवार को शहर के गांधी सागर स्थित अग्यारी में पारसी समुदाय ने हर्षोल्लास के साथ नवरोज मनाया । बता दे की पारसियों के लिए यह दिन सबसे बड़ा होता है। आज सुबह से ही पारसी समुदाय के लोगों ने मिठाई खिलाई और आपस में गले मिलकर एक- दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनाएं दी। पारसी समुदाय के सभी लोग सुबह से ही गांधीसागर के पास स्थित धर्मशाला पहुंचने लगे थे। अग्यारी में जश्न किया गया और यज्ञ द्वारा समाज और देश की सुख समृद्धि तथा खुशहाली के लिए प्रार्थना की गई।
पारसी समुदाय में अग्नि को ईश्वर का सबसे पवित्र प्रतीक मानते है। इस अवसर पर धर्मशाला में पूजा सामग्री फल और मिठाइयों के साथ अन्य व्यंजनों की भी विशेष पूजा की गई। नव वर्ष पर सभी लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा मे थे। पुरुष डगली और सिर पर टोपी पहने हुए थे जबकि महिलाएं गुजराती साड़ी धारण कर पहुंची। महिलाओं के सिर पर स्कार्फ बंधा हुआ था। इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष अस्पी बापूना, उपाध्यक्ष नवरोज डावर, सचिव सिराज गिमी, पूर्व सांसद गेव आवारी सहित बड़ी संख्या में समाज बंधु उपस्थित थे।
बता दे कि एक दौर था, जब पारसी समाज का एक बड़ा समुदाय हुआ करता था, लेकिन बदलाव के इस दौर में कई ने करियर और बेहतर पढ़ाई के कारण बड़े शहरों की ओर रुख किया, तो कुछ ऐसे भी हैं, जो आज भी समाज को जीवित रखे हुए हैं। अगस्त माह में पारसी समाज का नववर्ष मनाया जाता है। पारसी नववर्ष को ‘नवरोज’ कहा जाता है, बदलते वक्त ने पारसी धर्म में भी जिंदगी ने कई खट्टे-मीठे अनुभव कराए, लेकिन संस्कार ही हैं जिसके दम पर आज भी अपने धर्म और इससे जु़ड़े रीति-रिवाजों को समुदाय संभाले हुए हैं। नवरोज के अवसर पर समाज के सभी लोग पारसी धर्मशाला में इकट्ठा होकर पूजन करते हैं। समाज में वैसे तो कई खास मौके होते हैं, जब सब आपस में मिलकर पूजन करने के साथ खुशियां भी बांटते हैं |
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