नागपुर :- दिव्यांगों का कल्याण करने के बजाय जिला परिषद का समाज कल्याण विभाग खुद का कल्याण करता दिख रहा है। जिप के सेस फंड से दिव्यांगों के लिए आरक्षित निधि उनके विकास पर खर्च करना छोड़ सॉफ्टवेयर पर खर्च करने की कवायद की जा रही है। पिछले दो वित्तीय वर्ष में ट्राइसिकल के लिए मंजूर 6 लाख रुपए की निधि विभाग खर्च नहीं कर पाया। इसमें से 4 लाख रुपए अब साॅफ्टवेयर खरीदी पर खर्च करने का आमसभा में प्रस्ताव रखा गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग को दिव्यांगों की कितनी परवाह है।
जिप के सेस फंड से समाज कल्याण विभाग को 20 प्रतिशत निधि दी जाती है। इसमें से 3% निधि दिव्यांगों की व्यक्तिगत लाभ योजना के लिए आरक्षित रखी जाती है। इस निधि से वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1.5 लाख और वर्ष 2017-18 के लिए 4.5 लाख रुपए निधि ट्राइसिकल के लिए मंजूर की गई। दो वर्ष में इस निधि की फूटी कौड़ी भी समाज कल्याण विभाग खर्च नहीं कर पाया, जिससे 6 लाख अखर्चित रह गए।
जिप सेस फंड से पैडल पर चलने वाली ट्राइसिकल की योजना है। इस योजना का वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 की निधि खर्च नहीं हो पाई। बहाना किया जा रहा है कि बैटरी से चलने वाली ट्राइसिकल खनिज विकास निधि से दिए जाने के कारण पैडल से चलने वाली ट्राइसिकल योजना को लाभार्थियों का प्रतिसाद नहीं मिल रहा है, जबकि खनिज विकास निधि से वित्तीय वर्ष 2017-2018 में बैटरी से चलने वाली ट्राइसिकल की योजना शुरू की गई है। इस योजना का जिला परिषद को प्राप्त 10 प्रतिशत निधि से 111 ट्राइसिकल का वितरण किया गया है।
जिप समाज कल्याण अधिकारी सुकेशिनी तेलगोटे ने आमसभा में कहा कि एक लाभार्थी अनेक बार योजना का लाभ उठाते हैं। इसे रोकने के लिए अखर्चित निधि से 4 लाख रुपए खर्च कर सॉफ्टवेयर लगाया जाएगा। एक बार लाभ उठाने के बाद दोबारा आवेदन करने पर इस सॉफ्टवेयर से पता चल जाएगा। एक ही लाभार्थी को बार-बार लाभ उठाने से रोकने में इस सॉफ्टवेयर का उपयोग होगा।
जिप सेस फंड के 3 प्रतिशत निधि पर दिव्यांगों का पूरा अधिकार है। इस निधि का उपयोग उन्हीं के लिए विकास योजनाओं पर खर्च होना चाहिए। दो साल में ट्राइसिकल के लिए दिव्यांग लाभार्थी नहीं मिल पाना समाज कल्याण विभाग की अकार्यक्षमता का परिणाम है। दिव्यांगों के अधिकार की निधि अन्यत्र खर्च करने के नापाक इरादों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि ऐसा होता है, तो जिलाधिकारी तथा विभागीय आयुक्त से शिकायत की जाएगी।
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