प्लास्टो कंपनी पर अंकुश अग्रवाल ने जताया अपना हक़ – कहा कंपनी की मालकिन से धोखाधड़ी की गई

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नागपुर : उपराजधानी में आये दिन धोखाधड़ी की कई वारदाते होती है, और कई लोग लाखो करोडो से ठगे भी जाते है l ऐसा ही ठगी का एक मामला सामने आया है बात है शहर की रजनी देवी मदन मोहन अग्रवाल जो सीधी सादी दिखने वाली एक जेष्ठ नागरिक है l जिसके साथ ही असलियत में देश में जाने माने प्लास्टो कंपनी की असली मालिक भी है l रजनी देवी ने जानकारी देते हुवे कहा की उनके पति तथा उनका स्वय मिलाकर प्लास्टो कंपनी में ६६% की हिस्सेदारी थी l किन्तु उनके पति की तबीयत अचानक गंभीर रूप से खराब होने के बाद वे अपने व्यवसाय पर ध्यान न दे पाई l और इसी बात का फायदा उठाकर कंपनी में ३३% के साझेदार रमेश चंद्र अग्रवाल ने समूची कंपनी पर अपना कब्जा कर लिया l इतनाही नहीं इस षड्यंत्र में धोखे से कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी करवा लिए गये, किंतु बीमार पति के इलाज और उनकी देखभाल में लगी यह महिला कुछ भी ना कर पाई l

कुछ ही वर्षो में उनसे सब कुछ छीनता चला गया, करोड़ों की संपत्ति और व्यापार होने के बावजूद अपनी ही मालिकियत की फैक्ट्रियों में उनके बेटों को नौकर बन कर काम करना पड़ा l कंपनी के साथ ही जमीन जायदाद भी दस्तावेज के आधार पर उनके रिश्तेदार और उनके बेटों ने हथियाकर अपने पास रख लिए l जिसके बाद विभिन्न बैंकों में उनके खातों को बिना इनके (रजनी देवी) हस्ताक्षर चलाया जा रहा था और लगातार उसमें से रुपए निकाले जा रहे थे I और ख़ास बात यह है की इस काली करतूत में बैंक के अधिकारी भी पूरी तरह शामिल थे l बिना असली हस्ताक्षरो के बैंक भी ठगी में शामिल होकर मानो दोनों हाथों से मदन मोहन अग्रवाल तथा रजनी अग्रवाल दंपत्ति के लाखो रुपये लुटाये गए l बात यहाँ तक ही नहीं रुकी इनके नाम का आयकर आखिर भर कौन रहा है इस बात की जांच जब रजनी के बेटे ने की तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई l एक ही नहीं बल्कि कई बैंकों में जो उनके खाते थे जिसकी जानकारी केवल मदन मोहन अग्रवाल और उनके साझेदार भाई रमेश चंद्र अग्रवाल को ही थी उसमे लाखो का लेन – देन चल रहा था I मदन मोहन गंभीर शारीरिक तकलीफ के चलते ना ही बोल पाते और ना किसी को बता पाते इसी बात का फायदा उठाकर उनकी हर खातों से फर्जी हस्ताक्षर कर धड़ल्ले से रुपये उड़ाए जा रहे थे l असलियत पता होने पर बैंकों के समक्ष इस परिवार ने जालसाजी को रोकने और उसे उजागर करने की गुजारिश की पर चुकी बैंक भी इस जालसाजी में मिली हुई थी तो ना ही उन्होंने कोई गुहार सुनी और ना ही मदद की l

इस बात की शिकायत आर्थिक अपराध शाखा में भी की गई पर अब तक पुलिस महकमे के इस विभाग ने भी इस मामले को न जाने क्यों जांच का विषय नहीं समझ रखा है l बैंक मैनेजर या आरोपी पक्ष जिन के खातों में यह दर्जनों फर्जी चेक क्लियर हो कर उन्हें फायदा पहुंचा चुके हैं उन्हें तक बुलाने का काम पुलिस विभाग ने नहीं किया I इसके तुरंत ही बात दूसरा मामला रजनी अग्रवाल के नाम का जाली उपयोग कर उनके खातों से भी पैसे उड़ाए गए जिसमें पंजाब नेशनल बैंक तथा नागपुर नागरिक सहकारी बैंक के प्रशासन या अधिकारियों की गैर जिम्मेदारी या मिलीभगत शामिल बताई जा रही है l उनके खातों से पैसे निकल कर विशाल अग्रवाल , उर्मिला अग्रवाल , नीलेश अग्रवाल तथा वैभव अग्रवाल इन्हीं खातों में उनकी बिना जानकारी और सहमति के जामा किये जा चुके है l सबूतों के साथ यह बात शीशे की तरह साफ है बावजूद इसके पुलिस प्रशासन इतनी बड़ी जालसाजी को भी जांचने की और कार्रवाई करने की तकलीफ नहीं उठा रहा है, जमीन जायदाद और नगद कंपनी की मिलकियत यह सब मिलाकर रजनी अग्रवाल के परिवार की जो ठगी हुई है वह कुल मिलाकर एक दो नहीं बल्कि तीन सौ से लेकर साडे तीन सौ करोड़ रुपए की बतायी जा रही है l

वर्तमान में पीड़ित परिवार अपने हक के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है लेकिन उनकी सुनवाई न जाने क्यों नहीं हो पा रही l हर दस्तावेज के साथ सबूत पेश किए गए साफ तौर पर कोई भी इस जालसाजी को पहचान सकता है पर उच्च शिक्षा लिए छोटे और बड़े पुलिस अधिकारी इस मामले को समझने की कोशिश ही शायद नहीं कर रहे l अगर इसी तरह मजलूम मजबूर और परेशान लोगों की सुनवाई प्रशासन नहीं करें तो कानून और व्यवस्था पर भला विश्वास कौन करेगा यह सवाल आम नागरिको को सता रहा है l

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