नागपुर :- उपराजधानी सहित देशभर में आज बकरीद यानी ईद-उल-अजहा मनाई जा रही है। मीठी ईद के ठीक 2 महीने बाद बकरीद आती है l ईद-उल-फित्र यानी मीठी ईद के बाद मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार बकरीद होता है। ईद-उल-अजहा के ख़ास मौके पर शहर के सभी मज्जिदो में सुबह नमाज अदा की गई l मुस्लिम समुदाय के इस ख़ास त्यौहार पर शहर के पुलिस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय मोमिनपुरा स्थित जामा मज्जिद पहुंचे जिसके बाद मुस्लिम भाइयो द्व्रारा उनका स्वागत किया गया l इस मौके पर पुलिस आयुक्त उपाध्याय ने मुस्लिम भाइयो को ईद की मुबारक बात दी l
ईद-उल-अजहा के लिए शहर के मोमिनपुरा में पिछले दिनों से बकरा ममंडी में हजारो बकरे बेचे गए l क्योकि आज के इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर बकरीद पर बकरे की ही कुर्बानी क्यों दी जाती है l बकरीद के दिन सबसे पहले नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या फिर अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों में करने की शरीयत में सलाह है। गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में तकसीम किया जाता है, दूसरा दोस्त अहबाब के लिए और वहीं तीसरा हिस्सा घर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, एक पैगंबर थे हजरत इब्राहिम और माना जाता है कि इन्हीं के जमाने से बकरीद की शुरुआत हुई। वह हमेशा बुराई के खिलाफ लड़े। उनका ज्यादातर जीवन जनसेवा में बीता। 90 साल की उम्र तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई तो उन्होने खुदा से इबादत की और उन्हें चांद से बेटा इस्माईल मिला। उन्हें सपने में आदेश आया कि खुदा की राह में कुर्बानी दो। पहले उन्होंने ऊंट की कुर्बानी दी, इसके बाद उन्हें सपने आया कि सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दो तभी से ईद-उल-अजहा मनाया जाता है l
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