नागपुर :- सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में तेजी से घट रही छात्रों की संख्या को रोकने के लिए डिजिटल स्कूल और क्लास रूम बनाए जा रहे हैं। डिजिटाइजेशन के लिए स्कूलों में बिजली आपूर्ति भी होनी चाहिए पर आलम यह है कि खुद मुख्यमंत्री के गृह जिले में जिला परिषद के 300 स्कूलों का बिजली कनेक्शन बिल बकाया रहने के कारण काट दिया गया है।
स्कूलों में व्यावसायिक बिजली कनेक्शन जोड़े गए हैं, परंतु घरेलू कनेक्शन के मुकाबले व्यावसायिक बिजली का दर अधिक है और बिल भरने के लिए स्वतंत्र आर्थिक प्रावधान नहीं है। स्कूल परिसर तथा इमारतों की मरम्मत, रंगरोगन, शौचालयों की स्वच्छता तथा दुरुस्ती के लिए मिलने वाले वार्षिक निधि से बिजली बिल भरने की व्यवस्था की गई है। अगर बिजली बिल पर संपूर्ण निधि खर्च करें तो अन्य खर्च कहां से करें, यह समस्या स्कूलों के सामने खड़ी है। इसी क्रम में बिजली बिल भरने के लिए निधि कम पड़ने से स्कूलों की बिजली कट गई है। जिला परिषद तथा सरकार का बार-बार ध्यान आकर्षित करने पर भी कोई हल नहीं निकल पाया।
जिला परिषद स्कूलों के पास आर्थिक स्रोत नहीं रहने से बिजली बिल भुगतान करने की समस्या है। इसकी स्वतंत्र व्यवस्था होनी चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से स्कूलों का विद्युतीकरण होना चाहिए। इस संबंध में जिप सीईओ को ज्ञापन सौंपकर मांग की गई है। बिजली कनेक्शन कट होने से स्कूलों में अवैध कनेक्शन जोड़कर काम चलाया जा रहा है। जिले में ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं, जहां पड़ोस के मकान से बिजली कनेक्शन जोड़े गए हैं। अवैध बिजली कनेक्शन सुरक्षा की दृष्टि से सही है भी या नहीं, इसकी जांच तक नहीं की गई है। असुरक्षित बिजली कनेक्शन के कारण छात्रों की जान को खतरा बना हुआ है।
और पडे : नागपुर शहर में ट्रांसपोर्ट यूनियन की ओर से हड़ताल के चौथे दिन प्रदर्शन कर चक्का जाम