बुधवार को समस्त भारत में शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा | २३ अक्टूबर की रात १०:३६ से पूर्णिमा तिथि की शुरुवात होगी व बुधवार रात १०:१४ पर पूर्णिमा का समापन हो जाएगा | पूर्णिमा की पूजा, व्रत और स्नान बुधवार यानी २४ अक्टूबर को किया जाएगा |
अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा व कोजागिरी पूर्णिमा कहलाती है | इस रात को चन्द्रमा अपनी पूर्ण सोलह कलाओ से सुशोभित होता है | शरद पूर्णिमा के दिन पारंपरिक ढंग से व्रत व पूजन किया जाता है | इस व्रत को कोजागर व्रत भी कहा जाता है क्योंकि लक्ष्मीजी की जागृति की जाती है |
इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था | साथ ही मान्यता है की इस दिन माँ लक्ष्मी रात को भ्रमन करती है यह देखने के लिए की कौन जागरण कर रहा है या नहीं उसी के अनुसार माँ लक्ष्मी उस घर में ठहरती है जहां सब जागकर कोजागर का पर्व का आनंद ले रहे होते है | इसलिए इसे कोजागिरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा भी कहा जाता है | ज्योतिष के अनुसार इस बार यह
संयोग बेहद शुभ है |
शरद पूर्णिमा के दुसरे दिन से कार्तिक माह का आरंभ हो जाता है | हिन्दू मान्यता के अनुसार कार्तिक माह सबसे शुभ माह भी माना जाता है | कार्तिक माह के आरंभ के साथ-साथ वृन्दावन में होनेवाली ब्रजमंडल की यात्रा भी शुरू हो जाती है | ब्रजमंडल की यात्रा को ८४ कोस की यात्रा भी कहा जाता है |जिसमें सारे भक्त मथुरा , वृन्दावन , ब्रज व आसपास के दर्शनीय स्थलों के दर्शन करते है | कार्तिक माह में दिपदान भी किया जाता है व कई मंदिरों में मंगलारती का भी आयोजन इस माह में किया जाता है |
कार्तिक माह हिन्दू वर्ष में काफी महत्वपूर्ण है | इसी माह में धनतेरस , दिवाली
व भाईदूज का पर्व भी मनाया जाता है |
– By Apurva Nayak
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